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Wednesday 10 December 2014

इनकी सुरक्षा कहा ?

परसो मैं नोएडा सैक्टर 56 स्थित  SBI ATM से कुछ पैसे निकालने गया तब मेरी नज़र इस पोस्टर पर  पड़ी  वैसे #मुख्यमंत्रीअखिलेशयादव ने काम तो अच्छा किया है पर एक खामी नज़र आई तो यह सवाल मेरे दिमाग मे पैदा हो गया |

यूपी पुलिस ने एक ऐप बनाया है nibhaya@noida जिसे आप गूगल प्ले से डौन्लोड कर सकते है, इसके लिए आपको  https://uppolice.gov.in  पर जाकर रजिस्टर करना होगा मेरा  सवाल ये है की क्या ऐसे ऐप से हो रही आपराधिक  घटनाए कम होंगी ?  और तो और क्या सिर्फ आंड्रोइड फोन वाले ही सुरक्षित होंगे उनका क्या जो iPhone जैसे महँगा फोन लेते है उनके लिए कोई ऐप नहीं बनाया ? ये सवाल मेरे मन मे था तो मैं सरकार से जनना चाहता हू की बताए की सिर्फ आंड्रोइड इस्तेमाल करने वालों के लिए क्यों और iphone वालों के लिए कोई ऐप क्यों नहीं है !

Tuesday 2 December 2014

नहीं रहे "गोलमाल" के सलाह कार !

मुझे वो दिन आज भी याद है जब मेरी मम्मी ने मुझे कहा था जाओ देवेन वर्मा की कुछ फिल्मों की सीडी ले आओ क्योंकि आज कल की कॉमेडी मे फूहड़ पन ज्यड़ा है  जो पहले की कॉमेडी मे नहीं होता था | ओर तब मैंने पहली बार उनकी फिल्म देखी, देखी तो खेर बहुत सी थी पर कभी इतने ध्यान से नहीं देखा था पर जब  उनकी मुख्य भूमिका से भरी फिल्मे देखी तब पता चला की वे भी क्या गज़ब के अभिनेता रहे है |

 कमेडियन तो इस मिजाज के लिए बड़े प्रसिद्ध भी हुए और उनमे से एक थे देवेन वर्मा साहब जिनकी कुछ फिल्मों का मैं कायल रहा हू आज भी मेरे लैपटाप में उनके द्वारा अभिनय की हुई फिल्मे रखी हुई है जैसे की “अंगूर
”,”अंदाज़ अपना अपना”, “गोलमाल”,”चमत्कार” और “दिल तो पागल है” |

     अगर मैं देवेन वर्मा जी कि की गयी फिल्मों में से मेरी प्रिय पूछे तो “गोलमाल” को अव्वल दर्जे कि फिल्म कहूँगा |जिस तरह का अभिनय उन्होने कि या था दिल जीत लिया था |  उनकी इस फिल्म को मैं हर महीने मे एक बार देखना जरूर पसंद करता हू | इस फिल्म का वो  मूँछ वाला दृश्य तो बहुत ही मजेदार है और जिस तरह से उन्होने हसाया है क्या कहना !
खेर कॉमेडी क्या होती है देवेन वर्मा जी कि फिल्मों से झलकता था वे न तो कभी डबल मीनिंग कॉमेडी करते थे और न ही ऐसा कुछ कहते थे जिससे उनकी प्रसिद्धि  में कोई खलल डाल सके
| आज जब कॉलेज से आया और टीवी चलाया तो खबर देखी कि कॉमेडी के | तो मेरी आंखो के सामने ऐसे कई दृश्य घूमने लगे कई डाइलॉग जो मुझे आज भी पसंद है और उनका डाइलॉग बोलने का स्टाइल बेहद पसंद था |

सिद्धांतों के पक्के माने जाने वाले वर्मा ने लगातार ऐसी भूमिकाएं करने से इंकार किया, जिनमें विक्लांगों या शारीरिक तौर पर निशक्त लोगों का मजाक बनाना चरित्र की मांग थी। अपने सिद्धांतों के दम पर उन्होंने फिल्म उद्योग में सम्मान हासिल किया।

क्या आपको पता था “आदमी सड़क का” फिल्म में उन्होने एक गाना भी गाया है जिसपर आज भी बैंड-बाजा वाले और आपके यार कि शादी में आपको नाचने पर मजबूर कर देती है |
बस अब सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा फनकार कभी मरते नहीं वे हमशा अमर रहते है, और उनकी हर फिल्म याद दिलाती रहेंगी चलते चलते मुझे उनकी फिल्म “दिल” का एक डाइलॉग याद आरहा है “भगवान जिसे किसी काम के लिए पैदा नहीं करता उसे ...सेठ बना  देता है”



Monday 1 December 2014

लघु कथा - छोटी सी खुशी !

सड़क पर दोनों तरफ ज़बरदस्त ट्रैफिक मैं अकेला था पर साथ में कुछ और लोग जो रोड क्रॉस करना चाहते थे इसी बीच मेरे बगल में एक 3 फुटिया लड़का था छोटे-छोटे बाल थोड़ा सावला पैरो में चप्पल नहीं और बदन पर कपड़ो के नाम पर सिर्फ काले रंग की चड्डी मानो दिखावटी दुनिया से अपने को अलग दिखाना चाहता हो और मेरी तरफ आशा से देखता हुआ शायद संकोच कर रहा हो की मैं टिप टॉप कपड़ो में हूँ मस्त हूँ और वो बिना सुख सुविधाओ के मद-मस्त इठलाता इतराता हुआ जीवन से खुश है,  फिर मुझे आशा भरी नज़रों से देखते हुए बोला "भैया मुझे वो सामने वाली आइसक्रीम के ठेले जाना है ले चलो ?"
उसकी मासूमियत भरी आवाज़ सुनकर मैं मना नहीं कर सका चाहता तो मना कर सकता था पर उसकी हालत देख कर और अपनी देखकर बस ये समझ पाया था की कुछ अभाव की ज़िन्दगी मे भी कोई  अपने शौक रखता है |  मैंने बिना देर किये उसका हाथ पकड़ा और उसे रोड क्रॉस करवाया ,मैंने उसकी तरफ देखा उसकी ख़ुशी का ठिकाना न था और उसकी  आंखे मेरी तरफ देख thankyou कहना चाहती हो ? मैं एक टक उसको देख रहा मैंने देखा वहा तो तमाम बड़े ब्रांड के ठेले  खड़े है पर उसने एक लोकल ब्रांड को चुना क्योंकि जिस ब्रांड की उसने आइसक्रीम खरीदी जिस कीमत में वो खरीदना चाहता है उतने में शायद उतनी क्वांटिटी न आती हो मेरा मन भी उसे देख ललचा गया पर तभी मैंने देखा जो उसे उसके brochure  में पसंद आयी आइसक्रीम के जितने पैसे नहीं थे ! दुकानदार ने मना कर दिया मैं भी सोच में पड़ गया की अब क्या करेगा ? उसने अपनी मुट्ठी खोली और उन चंद सिक्को को मायूसी से देखकर जाने लगा तभी आइसक्रीम वाले ने उसे आवाज़ लगायी "ओये लड़के !" वो लड़का पलट कर देखा और गुस्से से बोल "क्या है?" मानो उसकी कोई जिद्द थी पूरी नहीं हो सकी तो गुस्सा आजाता है वही भाव दिख रहा था ! आइसक्रीम वाले ने कहा "ये लेजा तू भी क्या याद रखेगा !" और ये सुनते ही वो मानो ऐसा खुश हुआ जैसे कोई लंका जीत ली हो, और अपनी खिसकती चड्डी को ऊपर खिचता हुआ दोड़ता आया और ले गया |

तभी  मेरी निगाहें आइसक्रीम वाले से मिली और हम दोनों एक दूसरे को देख  मुस्कुराये मानो वो मुझे कोई सिख दे गया की ख़ुशी सिर्फ पैसो के बल नहीं पायी जा सकती इसके बाद उस लड़के ने  किसी और की मदद से रोड क्रॉस किया और मैं ऑटो में बैठ कर चला गया  और एक यादगार लम्हा मेरे जहेन में रेह गया !


Wednesday 10 September 2014

मेरी “कॉम” जिसका किसी “कौम” से लेना देना नहीं !


3***/5 
फिल्म की शुरुआत मे भंसाली प्रॉडक्शन का लोगो देखने के बाद मुझे डर लगा कहीं मैं गलत फिल्म देखने तो नहीं आगया क्योंकि उनकी फिल्म का काम स्टोरी पर कम सेट पर ज़्यादा दिखता है पर फिर जब निर्देशक उमंग कुमार का नाम देखा तो मुझे याद आया कुछ साल पहले मैं जब टेलिविजन  पर “एक मिनट” वाला एक शो आया करता  था जो भारतीय टेलिविजन इंडस्ट्री में उनकी ही देन थी तो मुझे “सुकून मिला” और शानदार काम देखने को मिला |
                              खेर हम इन नामो से बाहर निकलते है और बात करते है  5 बार की विश्व बॉक्सिंग चैम्पियन मणिपुरी खिलाड़ी “मेरी कॉम की जिनकी ज़िंदगी पर  यह फिल्म बनाई गयी है | निर्देशक के तौर पे यह उमंग कुमार की पहली फिल्म है और काफी अच्छा प्रयास है पर फिल्म देख कर ऐसा मालूम पड़ता  है की मेरी कॉम पर शोध कम किया गया है | हालांकि कुछ लोगो का तो ये भी मानना है की अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की शक्ल मेरी कॉम नहीं लगती , पर यहा शक्ल हूबहू होना ज़रूरी नहीं कहानी में दम जरूरी था  |

फिल्म मे वह ज़िद्द करके बॉक्सिंग खिलाड़ी बनती है और किस तरह मेहनत करके  स्टेट, नेशनल चैम्पियन फिर वर्ल्ड चैम्पियन बनती है | फिल्म के बीच मे मेरी कॉम का इंटरव्यू भी दिखाया गया है जिसमे फ़ैडरेशन उन्हे खाने मे केला और दूध के अलवा कुछ नहीं मिलता फिर भी अभाव के चलते खिलाड़ी अपना प्रदर्शन शानदार रखते है | लोकल फूटबाल खिलाड़ी से शादी करने के बाद बॉक्सिंग से अलग रहना मेरी कॉम को गवारा नहीं हुआ और जुड़वा बच्चे होने के बाद  फिर से वापसी करना चाहती है और कॉम का पति साथ देता है एक मैच मे चीटिंग की वजह से हार का सामना देखना पड़ता है और इसमें एक मणिपुरी की भारतीय राज्य से जो शिकायत है वह भी है लेकिन संतुलित रूप में दिखाई गयी है । निर्देशक ने खेल संघों के भीतर चलने वाली राजनीति और ओछेपन को भी दिखाया है। पर राष्ट्रीयता की भावना भी है और आखिर में ‘जन गण मन’ के गायन से फिल्म की समाप्ती होती है | मेरी तरफ से आपको यह फिल्म ज़रूर देखना चाहिए और गर्व महसूस करना चाहिए की हमारा देश सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बॉक्सिंग मे भी अन्य देशो मे नाम कामना जनता है |
फिल्म में गाने है पर सब अपनी जगह सटीक बैठते है “सलाम इंडिया ..” एक अलग ऊर्जा पैदा करता है वही “सुकून मिला ..” अच्छा रोमांटिक नगमा है !
                             मेरी के कोच की भूमिका सुनील थापा ने निभाई है जो चर्चित नेपाली कलाकार हैं। मेरी के पिता बने हैं रॉबिन दास जो बरसों रंग जगत के चर्चित निर्देशक रहे और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अध्यापक भी है । मेरी के पति की भूमिका नए अभिनेता दर्शन कुमार ने निभाई है। ये सभी अपनी-अपनी जगहों पर प्रभावित करते हैं। लेकिन फिल्म तो टिकी है प्रियंका पर जिन्होंने इस भूमिका के लिए काफी मेहनत की है और मेरी के संघर्षशील व्यक्तित्व के भावनात्मक पहलुओं को गहराई के साथ उतारा है।

Wednesday 20 August 2014

He Lost Himself with Male EGO !

Usually we share our emotions,joy and nostalgic moments . But when it comes to sharing some valuable aspects of life we tend to be the one who unaware of it and when it comes some really “great people” it seems they are contended with the luggage of knowledge they carry. I want to grab your attention towards social media sites like facebook,twitter  etc. Yesterday i got a message on whatsapp “10 legal rights women must know “,an initiative by HT. I forwarded this message to my familiar contacts including boys. After reading , some boys appreciated the usefulness of content by saying “surely I will share it” but the other one replied “I was not aware of this” . This second reply motivated me and i Made this message viral. 


But there was one guy , who simply told me ” some fundas are wrong !  I asked him why would HT publish wrong information ? then he answered its not a good newspaper. I forcibly asked him to correct the laws then. And he weirdly replied “is this my work now ?” As far as my thinking goes, Aam Aadmi should share such information in the interest of society”. But remember before forwarding must crosschecked the information is correct or not ? But unfortunately I waited for his reply for long time and I thought his male ego not forced him to reply and I feel still in our country the orthodox thinking is alive …… and I was ashamed of his thinking !!   


Friday 15 August 2014

क्यों नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण ऐतिहासिक था ??

भाषण  हमारे देश की पूरनी परंपरा रही है हम कितना भी अच्छा भाषण सुनले  हम तालियाँ बड़ी ज़ोरों से बजाते है पर हम उन काही हुई बातों  पर कितना अमल करते है  ये आप भी जानते है और हम भी ! कुछ लोग  तो पूछते रहते है अच्छे दिन कब आएँगे ? पर मुझे एक बात समझ नहीं आती  जब तक हम भाषण मे कहीं गयी बातों पर ध्यान नहीं देंगे तो  हम अच्छे दिन आने का सिर्फ इंतजार ही करते रह जाएंगे  आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आज का भाषण बहुत महत्वपूर्ण है उन्होने कुछ  बातों पर  ध्यान देने की बात  तो कहीं है और अगर इनपर ही अमल किया जाये तो  क्या हम खुद अच्छे दिन नहीं ला  सकते ताकि हम पूरी दुनिया में कहीं भी गर्व से कह सके की We are proud to be an Indian :) 

देश के 68वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजना आयोग को समाप्त करने का ऐलान किया और विपक्ष को साथ लेकर चलने के आह्वान के साथ ही जातिगत एवं सांप्रदायिक हिंसा पर रोक की हिमायत की साथ ही बेटियों की सुरक्षा और गरीबी से लड़ने का मुद्दा भी उठाया।
सत्ता में आने के तीन माह से भी कम समय के भीतर मोदी ने विकास और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नये विचारों की इबारत लिखते हुए कहा कि भारत को वैश्विक निर्माण का आधार बनना चाहिए।
मोदी आज सबसे पहले राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पीएम लाल किला पहुंचे और सेना ने उन्हें सलामी दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्‍वतंत्रता दिवस पर लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ा। वह ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए। उन्‍होंने निर्देश दिया था कि भाषण देते वक्‍त उनके ऊपर छाता तान कर नहीं रखा जाए। साथ ही, उनके लिए बनाए गए मंच पर बुलेट प्रूफ घेरा भी नहीं था।
मोदी ने योजना आयोग खत्म करने का ऐलान किया। मोदी ने कहा कि योजना आयोग में ढांचागत परिवर्तन कर नए संस्थान का गठन किया जाएगा। जल्दी ही नए संस्था का ब्लूप्रिंट जारी किया जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने देश के 68वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'अत्यधिक गरीब' लोगों के लिए बैंक खाता खोलने और उनके लिए 1,00,000 रुपये के बीमा योजना की घोषणा की। मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना' के माध्यम से हम गरीब से गरीब लोगों के लिए बैंक खाता खुलवाना चाहते हैं। "जन धन योजना' के तहत गरीब लोगों का एक लाख रुपये का बीमा कराया जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने विश्वभर के निवेशकों से अपील की कि वे भारत विनिर्माण का केंद्र बनाएं। उन्होंने कहा, "कम, मेक इन इंडिया" । "मैं विश्वभर से कहता हूं, भारत में सामान का उत्पादन करें। सामान कहीं भी बेचें, लेकिन इसका उत्पादन भारत में करें। हमारे पास कौशल और योग्यता है। हमारा सपना होना चाहिए कि हम विश्वभर में कह सकें, 'मेड इन इंडिया'।"
नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक साल के अंदर हर विद्यालय में लड़कियों के लिए अलग शौचालयों का निर्माण हो जाना चाहिए। एक साल के भीतर प्रत्येक विद्यालय में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण हो जाना चाहिए,
देश के कुछ भागों में हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सांप्रदायिकता और जातिवाद देश की प्रगति में बाधा है। मोदी ने कहा कि हम सदियों से सांप्रदायिक तनाव से गुजर रहे हैं। इसकी वजह से देश विभाजन तक पहुंच गया़, जातिवाद सांप्रदायवाद का जहर कब तक चलेगा किसका भला होगा बहुत लोगों को मार दिया, काट दिया, कुछ नहीं पाया, भारत मां के दामन पर दाग लगाने के अलावा कुछ नहीं पाया।
बलात्कार की घटनाओं पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा माथा शर्म से झुक जाता है, जब हम इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनते हैं। उन्होंने उन राजनेताओं पर प्रहार किया जो इस तरह के अपराध का विश्लेषण करने के लिए मनोवैज्ञानिक बन जाते हैं।
नरेंद्र मोदीने भारत के निराशाजनक लिंगानुपात की ओर भी ध्यान खींचा। "मैं डॉक्टरों से अपील करता हूं कि गर्भस्थ कन्या की हत्या न करें। मैं माता-पिता से बेटी की हत्या न करने की अपील करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ऐसे परिवारों को भी जानते हैं, जिनमें पांच बेटे थे और जो बड़े मकानों में रहते थे, लेकिन अपने बूढ़े मां-बाप को वृद्धाश्रम भेज दिया। वहीं, मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं, जिनमें इकलौती बेटी ने अपने माता-पिता की देखभाल करने के लिए शादी भी नहीं की।"

Thursday 10 April 2014

स्टंटवादी पार्टी !


अगर आपको याद हो तो जया बच्चन जी  17 दिसम्बर 2012 को निरभया पर हुए बलात्कार पर संसद मे   रो पड़ी थी  ये समाजवादी पार्टी की सांसद है अगर उनके वह आँसू असली थे तो आज ही इस  पार्टी को छोड़ दे |


  समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने चुनावी मौसम में बलात्कार पर अजीब बयान देकर विवाद पैदा कर दिया है। मुरादाबाद की रैली में आज मुलायम ने रेप पर फांसी की सजा का विरोध किया। मुलायम ने कहा कि क्या रेप करने की सजा फांसी होगी?
मुलायम ने कहा कि "लड़कों से गलती हो जाती है। मेरी सरकार आएगी तो ऐसे कानून को बदलेगी। मुलायम सिंह यादव ने वादा किया कि वह सत्ता में आए तो ऐसा कानून हटाएंगे जो बलात्कारियों को फांसी की सजा देता है। उन्होंने कहा कि रेप में फांसी की सजा सही नहीं है। हम ऐसा कानून बनाएंगे जो बलात्कारियों को भी सजा दे और झूठी शिकायत करने वालों को भी।"


 ये पार्टी वाले दिमाग से पैदल तो नहीं हो गए हैकल आज़म खान ने भारतीय सेना को बाटने का काम किया था आज ये "महान" (कहना उचित नहीं होगा )  नेता फिजूल का बयान देकर चुनाव जीतना चाहता हैं !  अरे ऐसा व्यक्ति  प्रधानमंत्री अगर बन गया  तो देश मे हर रोज़ बलात्कार , हत्या , छेड़-छाड़ जैसी वारदाते होती रहेंगी समाजवादी पार्टी मुझे नहीं लगता कहीं से भी समाज के हित मे काम करती नज़र आती है ! मुजजफ्फर  नगर दंगो मे आज भी पीड़ित परेशान है उनकी तरफ किसी की नज़र नहीं जाती वोट बैंक की राजनीति के लिए कितना अपना स्तर गिराओगे ? सुधार जाओ नहीं तो जनता माफ नहीं करेगी !  

Sunday 23 March 2014

अमर शहीद भगत सिंह !

 मैं आज एक फिल्म देख रहा था जो भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु जी एवं अन्य क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित थी  | क्योंकि कल 23 मार्च है इनकी पुण्यतिथि |  हम भारतियो की एक खासियत है जब –जब किसी क्रांतिकारी की जन्म तिथि या पुण्यतिथि होती है तब ही हम उन्हे याद करते है | खेर हम कम से कम उन्हे याद तो करते है मैं तो कुछ बुज़ुर्गों द्वारा अब ये सुनता हूँ की आने वाले कल मे हम शायद ही इन्हे याद करे ! इस आधुनिक भरी दुनिया में  इस फिल्म को  देख एक अलग सा एहसास होने  लगता है | मैंने जाना अगर गांधी जी  चाहते तो भगत सिंह को  बचा सकते थे पर नहीं बचा सके और इतिहास आज भी ये सवाल करता  है की उन्होने इन तीनों क्रांतिकारियों को बचाने मे मदद क्यों नहीं की ?  जो सपना उन्होने देखा था वो पूरा तो हुआ पर अगर वो उस समय ज़िंदा होते तो शायद हम आज़ाद जल्दी हो सकते थे | उनका मकसद था आज़ादी और काँग्रेस भी आज़ादी ही चाहती थी पर दोनों के तरीके अलग थे | काँग्रेस का काम सिर्फ सत्ता हथियाना था चाहे आज़ादी के बाद कौन  किस स्थिति मे है कोई परवाह नहीं और शायद आज भी यही हालत है| भारत को आज़ाद हुए 60 बरस से ऊपर हुए पर उनकी ये बात आज भी सटीक बैठती है |
भगत सिंह जी ने कहा था :-

“आज़ादी हमारा मकसद नहीं है , सिर्फ आज़ादी हमारा मकसद नहीं है , आज़ादी का मतलब क्या है ?  की हुकूमत  अंग्रेज़ों के हाथो से निकल कर मुट्ठी भर रईस ओर ताकतवर हिंदुस्तानियों के हाथो मे चले जाये क्या यहीं आज़ादी है ? इससे आम इंसान की ज़िंदगी मे कोई फर्क आएगा? क्या मज़दूर ओर किसान वर्ग के हालात बदलेंगे ? उन्हे उनका सही हक मिलेगा ? नहीं, आज़ादी सिर्फ पहला कदम है मकसद है वतन बनाना एक ऐसा वतन जहाँ हर तबके के लोगो को बराबरी से जीने का हक मिले , जहाँ मजहब के नाम पर समाज मे बटवारा न हो |
एक ऐसा वतन   जो इंसान का इंसान पर ज़ुल्म बर्दाश्त न करे | मुश्किल है पर असंभव नहीं , हिंदुस्तान जहा इतने सारे धर्म ,जातियाँ, भाषाए ,कल्चर है उसे एक साथ जोड़े रखना आसान नहीं लेकिन हम इस बात को आज नहीं समझेंगे  और इस मसले को लेकर संघर्ष नहीं करेंगे तो हिंदुस्तान कल एक आज़ाद मुल्क तो होगा पर एक भ्रष्ट, शोषक और सांप्रदायिक समाज बनकर रह जाएगा |
हम सबको मिलकर बनाना है एक समाजवादी वतन”  

आप ये पड़कर सोच रहे होंगे की इनमे जो बाते भगत सिंह जी ने काही शत प्रतिशत सही है पर ये सच मैं भी जानता हूँ और आप भी पर हम हाथ पर हाथ धरे बैठे सोचते रह जाते है |

मुझे डर हैं कहीं आगे चलकर आने वाली पीढ़ी से पूछे तो वो अजय देवगन , बॉबी देओल, या सनी देओल याद न रखे उन्हे पता होना चाहिए की असली आज़ादी के हीरो वो थे जो फाँसी के तख्ते पर चड़ गए !

मेरा आपसे बस एक निवेदन है आप कुछ कर सके न सके पर जब जहाँ काही किसी को भी  गलत कार्य करते हुए जैसे भ्रष्टाचार ,  देश से गद्दारी तो ऐसा होने से रोके | अगर आप मिलकर इस देश की मिट्टी से प्यार करते है और जिन क्रांतिकारियों को आदर्श मानते है तो हम 60% युवा देश को विश्व मे तिरंगे की तरह नाम ऊँचा रख सकेंगे |
जय हिन्द ! जय भारत !

- देवेंद्र गोरे

Thursday 16 January 2014

शिकायत का अधिकार!

हो सकता है कि आपको शीर्षक थोडा अटपटा लगे । शिकायत करने का अधिकार? ये अधिकार तो व्यवस्था ने, हमारे संविधान ने हमें दिया ही हुआ है ना!

कौन होगा इस देश में जिसने आज तक कभी शिकायत न की हो! पुलिस के अत्याचारों और मनमानी के खिलाफ, दफ़तर में रिश्वत की बाट जोह रहे 'बाबू' के फ़ाइल आगे बढ़ाने में आनाकानी के खिलाफ, टूटी सड़कों, घर के बाजू में लगे कूड़े के ढेर और बहती नालियों के खिलाफ, अधिकारियों के बात न सुनने के खिलाफ, ठेकेदारों के सरकार द्वारा तय दरों से ज्यादा वसूलने के खिलाफ; हम सब शिकायत करते ही तो रहते हैं यार! फिर इसमें नया क्या है?

बात तो आप भी सही ही बोल रहे हो । पर मेरे अगले सवाल से आप के मन में चल रहे विचारों की बयार का रुख बदलना चाहिए । हमारी की गयी शिकायतों का कितने प्रतिशत अपने अंजाम तक पहुँचता है? कुछ बुद्धिजीवी वर्त्तमान व्यवस्था में आस्था प्रकट करते हुए रिश्वत का 'शॉर्टकट' अपनाकर अपना काम निकाल ले जाते होंगे, कुछ ऊंची पहुँच का फायदा उठाते हुए 'ऊपर' से फ़ोन करवा देते हैं । और बाकी? सहमत हैं क्या?

यहाँ बात 'छोटे' स्तर पर फैली अव्यवस्था और भृष्टाचार की है । आम आदमी तो सार्वजनिक दफ्तरों के काम-काज के तौर तरीकों और बात बात पर उनकी जेब टटोले जाने से ही सबसे ज्यादा बेहाल है । बड़े भृष्टाचार की बड़ी बड़ी बातें बड़े बड़े लोग जाने, बड़ी बड़ी सरकारें जाने!

दरअसल रिश्वत को आत्मसात कर चुके जमाने ने अगर अपनी आँखें बंद करके दिल पर भारी पत्थर रख लिया है तो इसकी एकमात्र वजह यही जर्जर हो चुकी व्यवस्था है जिसमें एक छोटे बाबू से लेकर लाल नीली बत्तियों में चलने वाले साहब जनाबों तक को सिर्फ 'ऊपर' जवाब देना पड़ता है; नीचे नहीं! और इस 'सांप सीढ़ी' रुपी व्यवस्था में सबसे नीचे वाले खाने में रखा है 'आम आदमी'! उसकी कौन सुनेगा? ऊपर तक पहुंचे कैसे? इतने सांप जो रास्ते में खड़े हैं ।