मुझे वो दिन आज भी याद है जब मेरी मम्मी ने मुझे कहा था जाओ देवेन वर्मा की कुछ फिल्मों की सीडी ले आओ क्योंकि आज कल की कॉमेडी मे फूहड़ पन ज्यड़ा है जो
पहले की कॉमेडी मे नहीं होता था | ओर तब मैंने पहली बार उनकी फिल्म देखी, देखी तो खेर बहुत सी थी पर कभी इतने ध्यान से नहीं देखा था पर जब उनकी मुख्य भूमिका से भरी फिल्मे देखी तब पता चला की वे भी क्या गज़ब के अभिनेता रहे है |
कमेडियन तो इस मिजाज के लिए बड़े प्रसिद्ध भी हुए और उनमे से एक थे देवेन वर्मा साहब जिनकी कुछ फिल्मों का मैं कायल रहा हू आज भी मेरे लैपटाप में उनके द्वारा अभिनय की हुई फिल्मे रखी हुई है जैसे की “अंगूर”,”अंदाज़ अपना अपना”, “गोलमाल”,”चमत्कार” और “दिल तो पागल है” |
कमेडियन तो इस मिजाज के लिए बड़े प्रसिद्ध भी हुए और उनमे से एक थे देवेन वर्मा साहब जिनकी कुछ फिल्मों का मैं कायल रहा हू आज भी मेरे लैपटाप में उनके द्वारा अभिनय की हुई फिल्मे रखी हुई है जैसे की “अंगूर”,”अंदाज़ अपना अपना”, “गोलमाल”,”चमत्कार” और “दिल तो पागल है” |
अगर मैं देवेन वर्मा
जी कि की गयी फिल्मों में से मेरी प्रिय पूछे तो “गोलमाल” को अव्वल दर्जे कि फिल्म
कहूँगा |जिस तरह का अभिनय उन्होने कि या था दिल जीत लिया था | उनकी इस फिल्म को मैं हर महीने मे
एक बार देखना जरूर पसंद करता हू | इस फिल्म का वो मूँछ वाला दृश्य तो बहुत ही मजेदार है और जिस तरह
से उन्होने हसाया है क्या कहना !
खेर कॉमेडी क्या होती है देवेन वर्मा जी कि फिल्मों से झलकता था वे न तो कभी डबल मीनिंग कॉमेडी करते थे और न ही ऐसा कुछ कहते थे जिससे उनकी प्रसिद्धि में कोई खलल डाल सके | आज जब कॉलेज से आया और टीवी चलाया तो खबर देखी कि कॉमेडी के | तो मेरी आंखो के सामने ऐसे कई दृश्य घूमने लगे कई डाइलॉग जो मुझे आज भी पसंद है और उनका डाइलॉग बोलने का स्टाइल बेहद पसंद था |
खेर कॉमेडी क्या होती है देवेन वर्मा जी कि फिल्मों से झलकता था वे न तो कभी डबल मीनिंग कॉमेडी करते थे और न ही ऐसा कुछ कहते थे जिससे उनकी प्रसिद्धि में कोई खलल डाल सके | आज जब कॉलेज से आया और टीवी चलाया तो खबर देखी कि कॉमेडी के | तो मेरी आंखो के सामने ऐसे कई दृश्य घूमने लगे कई डाइलॉग जो मुझे आज भी पसंद है और उनका डाइलॉग बोलने का स्टाइल बेहद पसंद था |
सिद्धांतों के पक्के माने जाने वाले वर्मा ने लगातार ऐसी
भूमिकाएं करने से इंकार किया, जिनमें
विक्लांगों या शारीरिक तौर पर निशक्त लोगों का मजाक बनाना चरित्र की मांग थी। अपने
सिद्धांतों के दम पर उन्होंने फिल्म उद्योग में सम्मान हासिल किया।
क्या आपको पता था “आदमी सड़क का” फिल्म में उन्होने एक गाना भी
गाया है जिसपर आज भी बैंड-बाजा वाले और आपके यार कि शादी में आपको नाचने पर मजबूर कर
देती है |
बस अब सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा फनकार कभी मरते नहीं वे हमशा
अमर रहते है, और उनकी हर फिल्म याद दिलाती रहेंगी चलते चलते मुझे उनकी फिल्म
“दिल” का एक डाइलॉग याद आरहा है “भगवान जिसे किसी काम के लिए पैदा नहीं करता उसे ...सेठ
बना देता है”
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