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Tuesday 13 October 2015

खली ने एक विज्ञापन से मचाई खलबली!

अंबुजा सीमेंट के नए विज्ञापन ने खली के संघर्ष की कहानी कैसे उन्हे किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा एक मिनट मे दिखाने की कोशिश की गयी है तो देर किस बात की आप भी देखिए और इस वाईरल विडियो का मज़ा लीजिए!

Tuesday 6 October 2015

साहब मैं ‘नशे’ के लिए नहीं कमाता!

मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा था तो सोचा रिक्शा किया जाये पर जब आपको जल्दी हो तभी सब कुछ धीरे-धीरे लगने लगता है। तभी मुझे एक रिक्शा वाला दिखाई दिया मैंने आवाज़ लगाई, मैंने पूछा “टावर चलोगे?” रिक्शा वाला बोला “बिल्कुल चलेंगे 20 रु लगेंगे”। मैंने मन ही मन सोचा वहा तक के तो 10 ही रु लगते है पर एक तरफ ध्यान आया भाई धूप में ये लोग मेहनत भी तो करते है।

मैं सवार हो लिया, दो चार पैडल मारे ही होंगे मैंने रिक्शे वाले से सवालों की बौछार लगा दी।  “कहाँ के रहने वाले हो?” मैं पूछा, “बिहार से है भैया वो बोला, “यहाँ कहा रहते हो?” तो बोला “यहीं पास ही मे दो चार लोग है मिलकर एक कमरा लिए है” मैंने फिर एक सवाल पूछ मारा “शराब पीते हो?” तो थोड़ा मुस्कुराकर बोला “नहीं साहब हम नहीं पीते” मैंने आश्चर्य से पूछा “ज़रा सी भी नहीं?” वो ना की मुंडी हिलाता गया।
Image Source- The Speaking Tree



फिर मैंने पूछा शादी की है? (थोड़ा शर्मा गया) बच्चे वगेरह? तो बोला हा साहब एक लड़का एक लड़की है दोनों को स्कूल भी भेजते है” उसकी आवाज़ में ही गर्व महसूस हो रहा था और होना भी चाहिए। 
मैंने उसकी तारीफ करते हुए एक सवाल और पूछ मारा “यहा रिक्शा वाले नशाखोरी तो बहुत करते है तुम ऐसे पहले आदमी मिले हो जो इन सब चीजों से दूर है” तो वो सिर्फ दो लाइनोमे सारा सार बता गया, “साहब अगर हम इन सब मे अपना कमाया पैसा फूक देंगे तो बच्चो की फीस और घर में चूल्हा कैसे जलेगा, और थोड़ा रुक कर बोला “....और भगवान न करे हम बीमार पड़ गए तो हुमारी बीवी बच्ची को कौोन देखेगा? हम बेफिजूल खर्चा नहीं करते, मेरी लड़की कहती है एक सेब रोज़ खाने से बीमारी दूर रहती है।“
और मेरा स्टॉप अगया मैंने 20 रु दिये और चल दिया और उससे बात करके अच्छा लगा। 


मैं आज भी जब कभी कौशांबी मेट्रो स्टेशन से उतरता हूँ तो मेरी नजरे उस रिक्शा वाले को ढूँढती है
, पर वो कभी उस दिन के बाद से दिखा नहीं और मैंने भी कभी तलाशने की जहमत नहीं उठाई!