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Wednesday, 10 December 2014

इनकी सुरक्षा कहा ?

परसो मैं नोएडा सैक्टर 56 स्थित  SBI ATM से कुछ पैसे निकालने गया तब मेरी नज़र इस पोस्टर पर  पड़ी  वैसे #मुख्यमंत्रीअखिलेशयादव ने काम तो अच्छा किया है पर एक खामी नज़र आई तो यह सवाल मेरे दिमाग मे पैदा हो गया |

यूपी पुलिस ने एक ऐप बनाया है nibhaya@noida जिसे आप गूगल प्ले से डौन्लोड कर सकते है, इसके लिए आपको  https://uppolice.gov.in  पर जाकर रजिस्टर करना होगा मेरा  सवाल ये है की क्या ऐसे ऐप से हो रही आपराधिक  घटनाए कम होंगी ?  और तो और क्या सिर्फ आंड्रोइड फोन वाले ही सुरक्षित होंगे उनका क्या जो iPhone जैसे महँगा फोन लेते है उनके लिए कोई ऐप नहीं बनाया ? ये सवाल मेरे मन मे था तो मैं सरकार से जनना चाहता हू की बताए की सिर्फ आंड्रोइड इस्तेमाल करने वालों के लिए क्यों और iphone वालों के लिए कोई ऐप क्यों नहीं है !

Tuesday, 2 December 2014

नहीं रहे "गोलमाल" के सलाह कार !

मुझे वो दिन आज भी याद है जब मेरी मम्मी ने मुझे कहा था जाओ देवेन वर्मा की कुछ फिल्मों की सीडी ले आओ क्योंकि आज कल की कॉमेडी मे फूहड़ पन ज्यड़ा है  जो पहले की कॉमेडी मे नहीं होता था | ओर तब मैंने पहली बार उनकी फिल्म देखी, देखी तो खेर बहुत सी थी पर कभी इतने ध्यान से नहीं देखा था पर जब  उनकी मुख्य भूमिका से भरी फिल्मे देखी तब पता चला की वे भी क्या गज़ब के अभिनेता रहे है |

 कमेडियन तो इस मिजाज के लिए बड़े प्रसिद्ध भी हुए और उनमे से एक थे देवेन वर्मा साहब जिनकी कुछ फिल्मों का मैं कायल रहा हू आज भी मेरे लैपटाप में उनके द्वारा अभिनय की हुई फिल्मे रखी हुई है जैसे की “अंगूर
”,”अंदाज़ अपना अपना”, “गोलमाल”,”चमत्कार” और “दिल तो पागल है” |

     अगर मैं देवेन वर्मा जी कि की गयी फिल्मों में से मेरी प्रिय पूछे तो “गोलमाल” को अव्वल दर्जे कि फिल्म कहूँगा |जिस तरह का अभिनय उन्होने कि या था दिल जीत लिया था |  उनकी इस फिल्म को मैं हर महीने मे एक बार देखना जरूर पसंद करता हू | इस फिल्म का वो  मूँछ वाला दृश्य तो बहुत ही मजेदार है और जिस तरह से उन्होने हसाया है क्या कहना !
खेर कॉमेडी क्या होती है देवेन वर्मा जी कि फिल्मों से झलकता था वे न तो कभी डबल मीनिंग कॉमेडी करते थे और न ही ऐसा कुछ कहते थे जिससे उनकी प्रसिद्धि  में कोई खलल डाल सके
| आज जब कॉलेज से आया और टीवी चलाया तो खबर देखी कि कॉमेडी के | तो मेरी आंखो के सामने ऐसे कई दृश्य घूमने लगे कई डाइलॉग जो मुझे आज भी पसंद है और उनका डाइलॉग बोलने का स्टाइल बेहद पसंद था |

सिद्धांतों के पक्के माने जाने वाले वर्मा ने लगातार ऐसी भूमिकाएं करने से इंकार किया, जिनमें विक्लांगों या शारीरिक तौर पर निशक्त लोगों का मजाक बनाना चरित्र की मांग थी। अपने सिद्धांतों के दम पर उन्होंने फिल्म उद्योग में सम्मान हासिल किया।

क्या आपको पता था “आदमी सड़क का” फिल्म में उन्होने एक गाना भी गाया है जिसपर आज भी बैंड-बाजा वाले और आपके यार कि शादी में आपको नाचने पर मजबूर कर देती है |
बस अब सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा फनकार कभी मरते नहीं वे हमशा अमर रहते है, और उनकी हर फिल्म याद दिलाती रहेंगी चलते चलते मुझे उनकी फिल्म “दिल” का एक डाइलॉग याद आरहा है “भगवान जिसे किसी काम के लिए पैदा नहीं करता उसे ...सेठ बना  देता है”



Monday, 1 December 2014

लघु कथा - छोटी सी खुशी !

सड़क पर दोनों तरफ ज़बरदस्त ट्रैफिक मैं अकेला था पर साथ में कुछ और लोग जो रोड क्रॉस करना चाहते थे इसी बीच मेरे बगल में एक 3 फुटिया लड़का था छोटे-छोटे बाल थोड़ा सावला पैरो में चप्पल नहीं और बदन पर कपड़ो के नाम पर सिर्फ काले रंग की चड्डी मानो दिखावटी दुनिया से अपने को अलग दिखाना चाहता हो और मेरी तरफ आशा से देखता हुआ शायद संकोच कर रहा हो की मैं टिप टॉप कपड़ो में हूँ मस्त हूँ और वो बिना सुख सुविधाओ के मद-मस्त इठलाता इतराता हुआ जीवन से खुश है,  फिर मुझे आशा भरी नज़रों से देखते हुए बोला "भैया मुझे वो सामने वाली आइसक्रीम के ठेले जाना है ले चलो ?"
उसकी मासूमियत भरी आवाज़ सुनकर मैं मना नहीं कर सका चाहता तो मना कर सकता था पर उसकी हालत देख कर और अपनी देखकर बस ये समझ पाया था की कुछ अभाव की ज़िन्दगी मे भी कोई  अपने शौक रखता है |  मैंने बिना देर किये उसका हाथ पकड़ा और उसे रोड क्रॉस करवाया ,मैंने उसकी तरफ देखा उसकी ख़ुशी का ठिकाना न था और उसकी  आंखे मेरी तरफ देख thankyou कहना चाहती हो ? मैं एक टक उसको देख रहा मैंने देखा वहा तो तमाम बड़े ब्रांड के ठेले  खड़े है पर उसने एक लोकल ब्रांड को चुना क्योंकि जिस ब्रांड की उसने आइसक्रीम खरीदी जिस कीमत में वो खरीदना चाहता है उतने में शायद उतनी क्वांटिटी न आती हो मेरा मन भी उसे देख ललचा गया पर तभी मैंने देखा जो उसे उसके brochure  में पसंद आयी आइसक्रीम के जितने पैसे नहीं थे ! दुकानदार ने मना कर दिया मैं भी सोच में पड़ गया की अब क्या करेगा ? उसने अपनी मुट्ठी खोली और उन चंद सिक्को को मायूसी से देखकर जाने लगा तभी आइसक्रीम वाले ने उसे आवाज़ लगायी "ओये लड़के !" वो लड़का पलट कर देखा और गुस्से से बोल "क्या है?" मानो उसकी कोई जिद्द थी पूरी नहीं हो सकी तो गुस्सा आजाता है वही भाव दिख रहा था ! आइसक्रीम वाले ने कहा "ये लेजा तू भी क्या याद रखेगा !" और ये सुनते ही वो मानो ऐसा खुश हुआ जैसे कोई लंका जीत ली हो, और अपनी खिसकती चड्डी को ऊपर खिचता हुआ दोड़ता आया और ले गया |

तभी  मेरी निगाहें आइसक्रीम वाले से मिली और हम दोनों एक दूसरे को देख  मुस्कुराये मानो वो मुझे कोई सिख दे गया की ख़ुशी सिर्फ पैसो के बल नहीं पायी जा सकती इसके बाद उस लड़के ने  किसी और की मदद से रोड क्रॉस किया और मैं ऑटो में बैठ कर चला गया  और एक यादगार लम्हा मेरे जहेन में रेह गया !