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Wednesday 16 October 2013

फिल्म समीक्षा :- “वार छोड़ न यार”

3***/5
फिल्म में सोहा अली खान, शरमन जोशी, जावेद जाफरी और मुकूल देव मुख्य भूमिक में हैं। फिल्म में सोहा अली खान एक पत्रकार की भूमिका निभा रहीं हैं। जो भारत-पाक का युद्ध कवर करने जाती है। फिल्म में शरमन जोशी एक भारतीय सिपाही की भूमिका में है, तो वहीं दूसरी तरफ जावेद जाफरी पाकिस्तानी सिपाही हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते को लेकर तो कई फिल्में बनी हैं, लेकिन दोनों देश के बीच जंग पर बहुत कम फिल्में ही बनी हैं।  राइटर डायरेक्टर फराज हैदर ह्यूमर का बखूबी इस्तेमाल करते हुए अपना पक्ष रखते हैं कि कैसे चीन और अमेरिका भारत-पाक तनाव को बढ़ावा देकर अपना फायदा करना चाहते हैं। वो दोनों तरफ की सरकारों की अपनी अपनी सेना के प्रति लापरवाही दिखाते हैं। इसमें एक जोक भी है जैसे पाकिस्तानी जवानों का दाल में गोश्त ढूंढना। nuclear bomb की जगह NEWCLEAR bomb जो चीन द्वारा पाकिस्तान को दिया गया | जावेद जाफरी का अभिनय दमदार है उनका फिल्म के हर डाइलॉग में  बहुत गहराई से व्यंग छुपा  है | फिल्म का मजेदार हिस्सा अंताक्षरी जो दो मुल्को के बीच मे खेला जाता है जिसमे एक  दूसरे के देश के गाने गाते है| फिल्म में अफ़ग़ानिस्तान के घुसपेटियों ने भी अपनी छाप छोड़ने मे कसर नहीं छोड़ी |  दिलीप ताहिल चार अलग-अलग किरदारों में फिल्म में कुछ हंसी देते हैं। वो एक भ्रष्ट भारतीय मंत्री हैं, एक पाकिस्तानी नेता हैं, अमेरिकी सीनेटर हैं और चीनी जनरल हैं जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल है। संजय मिश्रा पाकिस्तानी कमांडर के तौर पर बेहद अच्छे लगते हैं। ‘वार छोड़ न यार’ एक गंभीर विषय को हल्के-फुल्के तरीके से दिखाने में कामयाब होती है। फिल्म में आर्मी अफसर और रिपोर्टर के बीच का जबर्दस्ती का रोमांटिक ट्रैक भी दिखाया गया है जिसकी जरूरत नहीं है।

मैं इस फिल्म को 4 स्टार दे सकता था अगर हेरोइन सोहा नहीं होती तो पर पर 3 स्टार और एक बार देखना ज़रूर बनाता  है !  

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